खेती में मुनाफे की नई पहल (जनसत्ता:- अखिलेश आर्येन्दु द्वारा प्रकाशित लेख)

प्रिय विद्यार्थियों यह लेख UPSC Csat, UPPSC Csat गद्यांश के लिए उपयोगी साबित होगा।

खेती में मुनाफे की नई पहल

दुनिया में वैज्ञानिक तथा तकनीक पद्धति से खेती करना समझदारी और लाभ कर समझा जाता है इसी के जरिए केंद्र सरकार की नई पहल होगी, जिसमें किसानों को कृषि तकनीकों और वैज्ञानिक विधियों से परिचित कराना और उन्हें अधिक मुनाफा दिलाना है ।

जनसत्ता:- अखिलेश आर्येन्दु द्वारा प्रकाशित लेख 

एक बार फिर केंद्र सरकार किसने की माली हालत सुधारने की पहल करती दिख रही है सरकारी तौर पर कहा जा सकता है कि किसानों को किसी के जरिए ही अब उद्यमी बनाया जाएगा, इससे किसानों की माली हालत में सुधार होगा । आम तौर पर भारतीय खेती को परंपरा से की जाने वाली देसी खेती माना जाता है । मगर यह महाज्य मानता है, क्योंकि देसी खेती में रसायन, रासायनिक उर्वरकों और विदेशी बीच का इस्तेमाल नहीं होता है । नई तकनीक तथा वैज्ञानिक ढंग से की जाने वाली खेती में रसायनों और महंगे उर्वरकों का इस्तेमाल उत्पादन बढ़ाने के लिए किया जाता है । केंद्र सरकार की नई पहल आधुनिक खेती के जरिए किसानों को उद्यमी बनने की है ।
दुनिया में वैज्ञानिक तथा तकनीक पद्धति से खेती करना समझदारी और लाभ कर समझा जाता है बार इसी के जरिए केंद्र सरकार की नई पहल होगी, जिसमें किसानों को कृषि तकनीक और वैज्ञानिक वीडियो से परिचित कराना और उन्हें अधिक मुनाफा दिलाना है । इसके बाबत देश के हर जिले में ऐसी टीम बनाई जाएगी, जिसमें खेती से ताल्लुक रखने वाले सभी क्षेत्र के लोग होंगे । केंद्र सरकार के जरिए मुहैया कराई गई सूचना या जानकारी के मुताबिक बनाई जाने वाली टीम में किसानों के अलावा कृषि वैज्ञानिक, कारखाने के विशेषज्ञ कृषि विभाग और प्रशासन के अधिकारियों को शामिल किया जाना है । इसके अलावा, किसान उत्पादक संगठन कृषि सखी। ड्रोन दीदी और सहायता समूह में बेहतर कार्य करने वाले किसानों और महिलाओं को भी इसमें जोड़ने की बात कही गई है।
केंद्र सरकार इस पल में राज्य सरकार और भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद के अधीन आने वाले सभी कृषि विज्ञान केदो के वैज्ञानिक मिलकर काम करेंगे। फिलहाल देश में 731 कृषि विज्ञान केंद्र है। इन केंद्रों पर कार्यरत कृषि वैज्ञानिकों की मदद से किसानों को उद्यमी बनने और फसलों को बर्बाद होने से बचने का खाखा तैयार किया जा रहा है। अगर केंद्र सरकार की यह योजना कारगर हुई,  तो इससे उन करोड़ों किसानों को फायदा हो सकता है, जो खेती को घाटे का सौदा बात कर छोड़ चुके या बदहाली की जिंदगी गुजर रहे हैं।
अभी किस अपने उत्पाद को होने-पुणे दम पर बेचने को मजबूर रहते हैं,  इस पहल के मुताबिक हर जिले में टीम के गठन से पिछले आंकड़ों का अध्ययन कर फसल का जनपद में मांग और खपत का पता करना आसान हो सकता है। जानकारी के मुताबिक टीम के जरिए यह पता किया जाएगा कि आगाम किस फसल की कितनी बनाई करनी चाहिए और किसी किस्म की फसल लेना बेहतर होगा । किसानों को अभी तक बाजार की जरूरत के बारे में कोई जानकारी नहीं मिल पाती थी । इस टीम के जरिए किसानों तक यह बात पहुंचाई जाएगी कि किस फसल को उगने उगने से फायदा होगा और किस नुकसान। इतना ही नहीं, फसल तैयार होने के बाद जिले भर की खपत के बाद जो एन या उत्पाद बच जाएगा, उसमें से बढ़िया उत्पाद को निर्यात या बी के रूप में इस्तेमाल के लिए सुनिश्चित किया जा सकेगा ऐसे ऐसे किसानों का चयन टीम करेगी,  जो उत्पाद बेहतर और जलवायु परिवर्तन के अनुरूप खेती कर दूसरे किसानों के लिए नजीर बन सकते हैं ।
केंद्र सरकार ने पिछले शासन के दौरान किसानों के लिए कई योजनाएं चलाई थी, जिनमें पशुपालन मधुमक्खी मछली पालन, सूअर पालन जैसी व्यावसायिक योजनाएं शामिल है। गौरतलब है कि केंद्र सरकार और राज्य सरकारों की तमाम योजनाएं  किसानों के लिए चलाई जा रही है, वह किसानों के लिए बहुत मुफीद नहीं हो पा रही है ।
उसकी पहली वजह पानी में कमी है, देश में सिंचाई की समस्या आज भी बहुत बड़ी है, जिन इलाकों में नहरे के जरिए सिंचाई होती है वहां पानी के समय नहर में पानी न आना बहुत बड़ी समस्या है। इसका सीधा असर फसल के उत्पादन पर पड़ता है । इसी तरह उत्तम किस्म के बीजों की अनुपलब्धता , मेड़बंदी और वर्षा जल का संरक्षण न होने की वजह से आपेक्षिक परिणाम नहीं आ पाए हैं ।
तजुर्बेकारों का कहना है कि केंद्र सरकार अगर राज्य सरकारों के साथ मिलकर रासायनिक खेती मुक्त भारत का अभियान चलाए तो जलवायु परिवर्तन,  बढ़ती बीमारी हो अगर प्रदूषण तथा अन्य समस्याओं से छुटकारा मिल सकता है इसीलिए किसानों को उद्यमी बनने का बेहतर तरीका अपनाया जाना चाहिए । किसानों को जलवायु अनुकूल खेती, जिसे प्राकृतिक यजैविक खेती कहा जा रहा है। अपने के लिए प्रोत्साहित करने की जरूरत है। इससे उर्वरक को, बीजो और छिड़काव करने वाले यंत्रों पर दी जाने वाली अरबो रुपए की सब्सिडी की बचत होगी और देश की सेहत सुधारने में मदद मिलेगी । इसके अलावा अगर गांव की गरीबी दूर होगी, भुखमरी, कुपोषण , अशिक्षा , बेरोजगारी और पलायन जैसी समस्याओं से धीरे-धीरे छुटकारा मिलने लगेगा ।
भारत उर्वरक उत्पादन में दुनिया के सिर्फ 10 देश में शामिल है । निर्यात के नजरिए से उर्वरकों का उत्पादन लगातार बढ़ाया जाना चाहिए , लेकिन भारतीय खेती के लिए या घाटे का सौदा है।  जाहिर तौर पर केंद्र सरकार के जरिए उर्वरकों पर छूट के बावजूद किसानों के लिए यह घाटे का सौदा है । इससे उपजाऊ जमीन और वायुमंडल पर जो विपरीत असर पड़ता है । उसे नजर अंदाज नहीं किया जा सकता । केंद्र सरकार की यह नई पहल सभी कारगर हो सकेगी जब फसल के लिए लागत कम से कम हो बाजार को समझना और उसके अनुकूल फसल बोने को निश्चित करना ठीक है । लेकिन लागत में कमी करके किसानों का ज्यादा भला किया जा सकता है ।

गौरतलब है कि 20 वर्ष 2022-23 में 123 अब भारतीय रुपए से अधिक मूल के उर्वरकों का आयात किया गया । केंद्र सरकार की नई पहल को कारगर बनाने के लिए जरूरी है कि गांव से पलायन रोका जाए । जाहिर तौर पर पलायन रोकने में रासायनिक खेती कारगर नहीं रही है । इसीलिए रासायनिक खेती की उपयोगिता और प्रासंगिकता पर भी गौर करने की जरूरत है । नाम मात्र की लागत में अधिक उत्पादन और जलवायु परिवर्तन के असर को कम करने में प्राकृतिक खेती ही सबसे ज्यादा फायदेमंद और उपयोगी है इस हकीकत को नजरअंदाज नहीं किया जाना चाहिए।
इस वक्त जो खेती की जा रही है उसे किसानों को फायदा नहीं मिलता और ना यह सेहत के लिए ही मुफीद मानी जाती है । इसमें लागत बहुत ज्यादा और उत्पादन बहुत कम है द्वारा जरूरी है कि कम लागत से बेहतर उत्पाद देने वाली प्राकृतिक खेती को हर तरह से
 प्रोत्साहित किया जाना चाहिए । जिस तरह कारखाने के घाटे की भरपाई सरकार करती है , इसी तरह किसानों की खेती में घाटा होने पर भरपाई की जानी चाहिए । एस• स्वामीनाथन की न्यूनतम समर्थन मूल संबंधित सिफारिश हुब - बहु लागू होनी चाहिए। इससे देश का किसान की खुशहाली नहीं होगा बल्कि समाज से भी अनेक तरह की समस्याओं दुश्वारियां और बीमारियों से छुटकारा मिल सकता है ।

तजुर्बेकारों का कहना है कि केंद्र सरकार अगर राज्य सरकारों के साथ मिलकर रासायनिक खेती मुफ्त भारत का अभियान चलाए तो जलवायु परिवर्तन, बढ़ती बीमारियों, प्रदूषणों तथा अन्य समस्याओं से छुटकारा मिल सकता है । इसीलिए किसानों को उद्यमी बनने का बेहतर तरीका अपनाया जाना चाहिए ।
किसानों को जलवायु अनुकूल खेती , जिसे प्राकृतिक या जैविक खेती कहा जा रहा है अगर अपनाने के लिए प्रोत्साहित करने की जरूरत है । 
इससे उर्वरकों , बीजों और छिड़काव करने वाले यंत्रों पर दी जाने वाली और वह रुपए की सब्सिडी की बचत होगी और देश की सेहत सुधारने में मदद मिलेगी ।


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