प्राक्कथन :Preface Human Geography
प्राक्कथन :Preface
आज जबकि यूरोपीय तथा अमेरिकी विश्वविद्यालय में सामाजिक भूगोल व संस्कृत भूगोल अपना महत्वपूर्ण स्थान बना रहा हैं, वहीं भारत जैसे विकासशील देशों में मानव भूगोल का अध्ययन अधिकांश विश्वविद्यालय में भूगोल के पाठ्यक्रम का एक अंतरंग भाग है। देश के कुल 75 में से 62 विश्वविद्यालय में जहां स्नातकोत्तर स्तर पर भूगोल का अध्ययन कराया जाता है, मानव भूगोल का अध्ययन उनमें एक महत्वपूर्ण स्थान रखता है।
संक्षेप में, मानव भूगोल मानव समाज तथा पर्यावरण के परस्पर संबंधों का अध्ययन है। इसके मुख्य यूपी क्षेत्र हैं संस्कृत भूगोल , आर्थिक भूगोल , ऐतिहासिक भूगोल, सामाजिक भूगोल , प्रादेशिक भूगोल, सामाजिक भूगोल, राजनीतिक भूगोल, नगरीय भूगोल, यातायात भूगोल, चिकित्सा भूगोल एवं लैंगिक भूगोल क्योंकि वर्तमान में भारतीय विश्वविद्यालयों के संदर्भ में ऐसी कोई भी हिंदी में पाठ्यपुस्तक उपलब्ध नहीं है, जो मानव भूगोल की मूलभूत अवधारणाओं को पाठकों के समक्ष प्रस्तुत कर सके, इस पुस्तक के प्रशासन से इस कमी को पूर्ण किया जा सकेगा।
यह पुस्तक मेरी चर्चित पुस्तक हुमन ज्योग्राफी (Human Geography) का हिंदी रूपांतरण है। इस पुस्तक को देश-विदेश में प्रबुद्ध पाठकों द्वारा सराय जाने के कारण ही मुझे इसका हिंदी रूपांतरण करने की प्रेरणा मिली जिससे कि देश के हिंदी भाषी पाठकों द्वारा इसका समुचित लाभ उठाया जा सके। इसकी एक प्रमुख विशेषता यह है कि इसमें मानव भूगोल के सभी पहलुओं की सरल तथा विश्वसनीय जानकारी प्रदान की गई है। साथी, विभिन्न मानचित्र तथा रेखा चित्रों की सहायता से इसे अधिक रोजगार बनाया गया है। संक्षेप में, यह पुस्तक मानव भूगोल को एक सामाजिक विज्ञान के रूप में चित्रित करती है।
मुख्य रूप से यह पुस्तक तीन भागों में विभक्त की गई है। प्रथम भाग में जहां मानव भूगोल के मूल सिद्धांतों का वर्णन किया गया है। वहीं द्वितीय भाग में विकास तथा मानवीय अधिवास के विभिन्न प्रतिमानों का विश्लेषण किया गया है। तृतीय भाग में विभिन्न आदिवासियों तथा देशज आबादियों का संक्षिप्त लेखा-जोखा प्रस्तुत किया गया है । निसंदेह यह पुस्तक उन सभी के लिए जिनकी मानवीय समस्याओं के स्थानिक पहलुओं तथा परिस्थितिकीय समस्याओं के समाधान में रुचि है, उपयोगी सिद्ध होगी।
किसी भी पाठ्यपुस्तक के अभाव को दूर करने का प्रयास सदैव प्रसंसनीय होता है अगर इस संदर्भ में मानव भूगोल का प्रकाशन अद्वितीय है परंतु फिर भी प्रबुद्ध वर्ग के सुझाव सदैव आमंत्रित हैं ताकि आगामी संस्करण में इसका लाभ उठाकर पुस्तक को अधिक उपयोगी बनाया जा सके।
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