वन्य जीवन पर गहराता संकट (जनसत्ता : रोहित कौशिक द्वारा प्रकाशित लेख)

 वन्य जीवन पर गहराता  संकट 

वन्य जीवन पर गहराता संघट पर्यावरण के साथ-साथ भाषा और संस्कृति को भी नष्ट कर रहा है । कुछ वर्ष पहले हुए एक अध्ययन में दावा किया गया था कि जैव विविधता की हानि दुनिया में भाषाओं और संस्कृतियों के नष्ट होने के लिए जिम्मेदार है।


जनसत्ता : रोहित कौशिक द्वारा प्रकाशित लेख

वन्य जीवों पर होने वाले कुर्ता से जाहिर है कि हम इस प्रगतिशील दौर में सिर्फ सभ्यता का मुख होता लगाए हुए हैं । यह दुर्भाग्यपूर्ण है कि आज वन जीवो पर विभिन्न तौर तरीकों से संकट के बादल मंडरा रहे हैं । भारत समेत संपूर्ण विश्व में वन जीवों की संख्या तेजी से घट रही है । इससे हमारे पर्यावरण के लिए नित्य नई समस्याएं पैदा हो रही है । 

अपने स्वार्थ के चलते मनुष्य द्वारा किए गए प्राकृतिक दोहन का नतीजा यह हुआ कि बीते 40 वर्षों में पशु पक्षियों की संख्या घटकर एक तिहाई रह गई है । दरअसल समृद्ध वन्य जीवन पर्यावरण को पोशाक्त तो प्रदान करता ही है,  हमारे जीवन पर भी सकारात्मक प्रभाव डालता है । विडंबना है कि वन्य जीवों के संकट को देखते हुए हम अपनी जीवन शैली को बदलने के लिए तैयार नहीं है । 

वन्य जीव पर गहरा था संकट पर्यावरण के साथ-साथ भाषा और संस्कृति को भी नष्ट कर रहा है । कुछ वर्ष पहले हुए एक अध्ययन में दावा किया गया था कि जैव विविधता की हानि दुनिया में भाषण और संस्कृतियों के नष्ट होने के लिए जिम्मेदार है । अमेरिका की पेन स्टेट यूनिवर्सिटी के शोधकर्ताओं ने अपने अध्ययन में पाया था कि पृथ्वी के जैव विविधताओं वाले उच्च क्षेत्र में उच्च भाषण विविधता भी होती है । यहां तक की विश्व की 70 फ़ीसदी भाषण उच्च जैव विविधता वाले स्थलों पर पाई जाती है आंकड़े बताते हैं कि इन प्रमुख पर्यावरणीय क्षेत्र में समय के साथ संस्कृति और भाषाओं के स्तर में गिरावट आई है ।

शोध प्रमुख लैरी गोरेन्फ्ला के अनुसार हमने ताजा भाषण आंकड़ों के उपयोग से इस बारे में गहराई से जानने का प्रयास किया की भाषाओं और जैव विविधता का आपसी संबंध क्या है । साथ ही साथ समझने की कोशिश की की भाषा का भौगोलिक रूप से बिस्तर कैसे हैं । दरअसल इस दौर में जैव विविधता,  भाषा और संस्कृति के साथ-साथ पर्यावरण पर जिस तरह से प्रभाव डाल रही है उससे संकेत मिलता है कि भविष्य में हमें अनेक खतरों का सामना करना पड़ेगा ।

दरअसल, पशु पक्षी अपने प्राकृतिक आवास में ही अपने आप को सुरक्षित महसूस करते हैं । प्राकृतिक आवास में ही उनकी जैविक क्रियो में संतुलन बना रहता है । यह दुर्भाग्यपूर्ण ही है कि इस दौर में विभिन्न कर्म से पक्षियों का प्राकृतिक आवास गुजरा जा रहा है बढ़ते शहरीकरण और औद्योगीकरण के कारण वृक्ष लगातार काम होते जा रहे हैं । बगीचे उजाड़ कर इन जगहों पर खेती-बाड़ी की जा रही है । जलीय पक्षियों का प्राकृतिक आवास भी सुरक्षित नहीं बचा है । इन्हीं सब कर्म से किसी एक निश्चित जगह पर स्थापित होने के लिए पक्षियों के बीच प्रति स्पर्धा बढ़ती जा रही है । एक और पक्षी मानवीय लोग की भेंट चढ़ रहे हैं । तो दूसरी ओर जलवायु परिवर्तन के कारण इनकी संख्या लगातार घट रही है । इससे बड़ी विडंबना और क्या हो सकती है कि तमाम नियम कानून के बावजूद पक्षियों का शिकार और अवैध व्यापार किया जा रहा है । 


लोग सजावट, मनोरंजन और घर किस बढ़ाने के लिए तोता तथा रंगबिरंगी गौरैया जैसे पक्षियों को पिंजरे में कैद रहते हैं।  इसके साथ ही तीतर जैसे पक्षियों का शिकार किया जाता है। 
पक्षी विभिन्न रसायनों और जहरीले पदार्थ के प्रति अति संवेदनशील होते हैं । ऐसे पदार्थ भोजन या फिर  पक्षियों की त्वचा के माध्यम से पक्षियों के अंदर उनकी मौत का कारण बनते हैं । विभिन्न कीटनाशक और खरपतवार खत्म करने वाले रसायन पक्षियों के लिए बहुत खतरनाक सिद्ध हो रहे हैं । मोर जैसे पक्षी कीटनाशकों की वजह से कल के गले में समा रहे हैं । पर्यावरण को स्वच्छ रखने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाने वाला गिद्ध पशुओं को दी जाने वाले दर्द निवारक दवा की वजह से मौत का शिकार हो रहा है ।
गिद्ध मरे हुए पशुओं का मांस खाकर पर्यावरण साफ रखने में मदद करता है । पशुओं को दी जाने वाले दर्द निवारक दवा के अंश करने के बाद भी पशुओं के शरीर में रह जाते हैं । जब इन मरे हुए पशुओं को गिद्ध कहते हैं तो यह दावा गिद्धों के शरीर में पहुंचकर उनकी मौत का कारण बनती है ।
यह दुर्भाग्यपूर्ण है इस दौर में हमारे घर आंगन में गोरिया कहीं दिखाई नहीं देती है। वैज्ञानिकों का मानना है कि भोजन में कमी, घोसलों के निर्माण के लिए उचित जगह ना मिल पाना तथा माइक्रोवेव प्रदूषण जैसे कारक गोरिया के बच्चों का भजन मुख्य रूप से कीट पतंगे ही होते हैं । वैज्ञानिकों का मानना है कि गौरैया के बच्चों के आसपास भोजन के रूप में कीट पतंग की संख्या कम होने के कारण उनकी मृत्यु दर बढ़ रही है ।

दरअसल इस दौरान में हम अपने बगीचों में सुंदरता बढ़ाने के लिए विदेशी या फिर ऐसे पौधों को ज्यादा उगने लगे हैं , जो  प्राकृतिक रूप से उसे जगह पर नहीं उगते हैं। ऐसे पौधे स्थानीय पौधे की तुलना में उसे जगह पर रहने वाले कीट पतंग को अपनी और आकर्षित नहीं कर पाते हैं। साथी,  इन पौधों को ज्यादा रासायनिक उर्वरक और कीटनाशक रसायनों की आवश्यकता होती है । यह रसायन वातावरण को प्रदूषित कर लाभकारी सूक्ष्म जीवों और कीट पतंग को भी खत्म कर देते हैं । ऐसी स्थिति में गौरैया जैसे पक्षियों के लिए भोजन की कमी हो जाती है । इसलिए आज आवश्यकता है कि हम अपने आसपास स्थानीय पौधों को ज्यादा उगाए बार ऐसे पौधों को रासायनिक उर्वरक और कीटनाशक रसायनों की ज्यादा जरूरत नहीं पड़ती और वे स्थानीय किट पतंग को अपनी और आकर्षित करने में सफल रहते हैं।
इस दौरान में गोरिया जैसे पक्षियों के साथ-साथ तोते पर भी संकट के बादल मंडरा रहे हैं । गौरतलब है कि विश्व में तोते की लगभग 330 प्रजातियां ज्ञात है । अगले 100 साल में इनमें से एक तिहाई प्रजातियों के विलुप्त होने का अनुमान है । 

दरअसल भारत में भारत में जिन पक्षियों के अस्तित्व पर सबसे अधिक खतरा मंडरा रहा है उनमें उपयुक्त पक्षियों के अलावा ग्रेट इंडियन बस्टर्ड , गुलाबी सर वाली बत्तख , हिमालय बेटर साइबेरियन सारस बंगाल फ्लेरिकन उल्लू आदि प्रमुख है ।

 दरअसल जब भी जीवों के संरक्षण की योजनाएं बनती है तो बाग से तथा हाथी जैसे बड़े जीवों के संरक्षण पर तो ध्यान दिया जाता है , लेकिन पक्षियों के संरक्षण को अपेक्षित महत्वपूर्ण नहीं दिया जाता है ।

 वृक्षों की संख्या में वृद्धि , जैविक खेती को प्रोत्साहित तथा माइक्रोवेव प्रदूषण को काम करके काफी हद तक पक्षियों को विलुप्त होने से बचाया जा सकता है पक्षियों के संरक्षण के लिए सरकार को भी कुछ ठोस योजनाएं बनानी होगी अब समय आ गया है कि सरकार और हम सब मिलकर जीवन को बचाने का सामूहिक प्रयास करें । हमें यह समझना होगा कि जिओ के प्रति क्रूरता स्वयं हमारे अस्तित्व पर ही प्रश्न चिन्ह लगा सकती है।


 

यह वेबसाइट किसी भी परीक्षा की तैयारी कर रहे उन विद्यार्थियों के लिए महत्वपूर्ण साबित होगा।

 जो विधार्थी बिना किसी संस्था के यानि स्वयं घर पर रह कर IAS/PCS या अन्य किसी प्रतियोगी परीक्षाओं जैसे SSC,BANKING या Railway इत्यादि की तैयार कर रहे है, उनके लिए इस Website पर Exam की प्रकृति को देखते हुए महत्वपूर्ण Topic पर लेख एवं Question Answer,  और Current  Affairs, quiz, Newspaper, News इत्यादि प्रसारित किया जाता है. जो की आपको आपने आने वाली Exam के लिए उपयोगी होगी। 


https://t.me/selfias_study

PDF में Study material 
पाने के लिए आप हमारे
 telegram channel को Jion करें
Jion करने के लिए यहाँ click करे




Comments

BPSC 70 वीं का NOTIFICATION हुआ जारी :- 2024

राज्य एवं उनके प्रमुख लोक नृत्य

भारत के लिए समुद्री मार्ग की खोज एवं पुर्तगालियों का आगमन

जरथुस्त्र कौन है?

Followers

Contact Form

Name

Email *

Message *