बहिर्जनिक (Exogenic) तथा अंतर्जनित (Endogenic) बल में अंतर (ncert notes)


बहिर्जनिक (Exogenic) तथा अंतर्जनित (Endogenic) बल में अंतर

सर्वप्रथम भू-पर्पटी गत्यात्मक है। आप अच्छी तरह जानते हैं कि यह क्षैतिज तथा ऊर्ध्वाधर दिशाओं में संचलित होती रहती है। निश्चित तौर पर यह भूतकाल में वर्तमान गति की अपेक्षा थोड़ी तीव्रतर संचलित होती थी।

भू-पर्पटी का निर्माण करने वाले पृथ्वी के भीतर सक्रिय आंतरिक बलों में पाया जाने वाला अंतर ही पृथ्वी के बाह्य सतह में अंतर के लिए उत्तरदायी है।

मूलतः, धरातल सूर्य से प्राप्त ऊर्जा द्वारा प्रेरित बाह्य बलों से अनवरत प्रभावित होता रहता है। निश्चित रूप से आंतरिक बल अभी भी सक्रिय हैं, यद्यपि उनकी तीव्रता में अंतर है।

इसका तात्पर्य है कि धरातल पृथ्वी मंडल के अंतर्गत उत्पन्न हुए बाह्य बलों एवं पृथ्वी के अंदर उद्भूत आंतरिक बलों से अनवरत प्रभावित होता है तथा यह सर्वदा परिवर्तनशील है।

बहिर्जनिक (Exogenic) तथा अंतर्जनित (Endogenic) बल में अंतर :-

  • बाह्य बलों को बहिर्जनिक (Exogenic) तथा आंतरिक बलों को अंतर्जनित (Endogenic) बल कहते हैं।
  • बहिर्जनिक बलों की क्रियाओं का परिणाम होता है- उभरी हुई भू-आकृतियों (घिसना) और बेसिन/कम क्षेत्रों/गर्तों का भराव (अधिवृद्धि/तल्लोचन)

  • अंतर्जनित शक्तियाँ निरंतर धरातल के भागों को ऊपर उठाती हैं या उनका निर्माण करती हैं तथा इस प्रकार बहिर्जनिक प्रक्रियाएँ उच्चावच में भिन्नता को सम (बराबर) करने में असफल रहती हैं।
  • सामान्यतः अंतर्जनित बल मूल रूप से भू-आकृति निर्माण करने वाले बल हैं तथा बहिर्जनिक प्रक्रियाएँ मुख्य रूप से भूमि विघर्षण बल होती हैं। 


    धरातल पर अपरदन के माध्यम से उच्चावच के मध्य अंतर के कम  होने को तल
    संतुलन (Gradation) कहते हैं। 

Comments

BPSC 70 वीं का NOTIFICATION हुआ जारी :- 2024

राज्य एवं उनके प्रमुख लोक नृत्य

भारत के लिए समुद्री मार्ग की खोज एवं पुर्तगालियों का आगमन

जरथुस्त्र कौन है?

Followers

Contact Form

Name

Email *

Message *