रक्षा बज़ट 2022 : रक्षा में आत्मनिर्भर भारत

इस बज़ट का हमारे रक्षा मामलों पर क्या असर पड़ने जा रहा है.

इस बार रक्षा बज़ट में पिछली बार से 1.35 लाख करोड़ रुपये अधिक का प्रावधान है यानी पिछले रक्षा बज़ट से 19 फ़ीसदी ज़्यादा. पिछली बार रक्षा बज़ट के लिए 4.78 लाख करोड़ रुपये का प्रावधान था. इस बज़ट का हमारे रक्षा मामलों पर क्या असर पड़ने जा रहा है. आइए जानते हैं कि इस पर एक्‍सपर्ट की क्‍या राय है।

  1. रक्षा पर सरकार कितना भी ख़र्च करे, कभी यह नहीं कहा जा सकता कि पर्याप्त है. ख़ासकर इस वक़्त जब चीन के साथ तनाव चल रहा है, तब इस तरह की बढ़ोतरी की ज़रूरत थी. आंकड़ों के हिसाब से बज़ट ठीक लगता है. अब यह तीनों सेनाओं और सिक्योरिटी प्लानर्स पर निर्भर करता है कि वे बज़ट का इस्तेमाल कैसे करेंगे.
  1. आत्मनिर्भर भारत के तहत 68 फ़ीसदी चीज़ें ऐसी ख़रीदी जाएंगी, जो भारत में बनी हों. पिछले साल यह आंकड़ा 58 था. सरकार को इस दिशा में जो सफलता मिली है, उसी वजह से इस बार 10 प्रतिशत का इजाफा देखने को मिला है. यह बहुत अच्छा क़दम है, क्योंकि रक्षा के मोर्चे पर आत्मनिर्भर होने के बाद ही विदेश, कूटनीतिक और रणनीतिक मोर्चे पर बेबाकी से फैसले लिए जा सकेंगे.
  2. रक्षा उपकरणों के आयात पर निर्भरता को कम करने के लिए घरेलू उद्योग पर निर्भरता बढ़ाई जाएगी. सैन्य साजो-सामान बनाने के लिए प्राइवेट इंडस्ट्री को प्रोत्साहित किया जाएगा. प्राइवेट इंडस्ट्री डीआरडीओ (DRDO) और दूसरे संगठनों के साथ मिलकर काम कर सकेंगी.
    1. 25 फ़ीसदी आरएंडडी बज़ट के साथ डिफेंस आरएंडडी को इंडस्ट्री, स्टार्टअप्स और एकैडेमिया के लिए खोला जाएगा.
    2. डिफेंस एक्सपोर्ट को बढ़ावा देने का प्रयास है. भारत की सुपरसोनिक क्रूज मिसाइल ब्रह्मोस को फिलीपींस ख़रीद रहा है.
यह लेख मूल रूप से नवभारत टाइम्स में छप चुका है.

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