भारत के लिए समुद्री मार्ग की खोज एवं पुर्तगालियों का आगमन
भारत के लिए समुद्री मार्ग की खोज एवं पुर्तगालियों का आगमन
🇵🇹 15वीं शताब्दी में भारत में वास्को डा गामा के आगमन से कई शताब्दी पूर्व यूरोपीय यात्री आते रहे थे, लेकिन केप ऑफ गुड होप होकर जब वास्को डी गामा 17 मई 1498 में कालीकट पहुंचा, तो इसने भारतीय इतिहास की दिशा को गहरे रूप से प्रभावित किया । पश्चिम में अमेरिका के विपरीत, पूर्व में यूरोपीय शक्तियों सीधे औपनिवेशिक कारण से शुरुआत नहीं कर सकी । ऐसा करने में उन्हें कुछ समय लगा लेकिन अपनी विकसित समुद्री शक्ति तकनीकी एवं अस्त्र बारूद इत्यादि के कारण उन्होंने तीव्रता से समुद्री शक्ति के रूप में स्वयं को स्थापित कर लिया और समुद्री व्यापार पर नियंत्रण कायम कर लिया ।
🇵🇹 पुर्तगालियों का मंतव्य:
पुर्तगालियों का स्पष्ट मंतव्य था कि वह व्यवसाय करने भारत आए थे लेकिन उनका छुपा हुआ एजेंडा था इसी मौत का प्रचार कर भारतीयों को इसी में परिवर्तित करना और अपने प्रतिद्वंदियों विशेष रूप से अब को बाहर खड़े कर व्यापक रूप से मुनाफे वाले पूर्वी व्यापार पर एक अधिकार कायम करना। उसे समय तक हिंद महासागर के व्यापार पर अब व्यापारियों का एक अधिकार था। आगामी 15 वर्षों में पुर्तगालियों ने अब नोटों को पूरी तरह नष्ट कर दिया। उन्होंने अनेक जहाज को लूट, उसे पर आक्रमण किया। जहाज को लूट और अन्य दमनात्मक कारवाइयों की । पुर्तगालियों की सुदृढ़ स्थिति के परिप्रेक्ष्य में पुर्तगाल के शासक मैन्युअल प्रथम ने 1501 में अब, भारत और भारत के साथ व्यापार का स्वयं को मलिक घोषित कर दिया।
🇵🇹 पुर्तगालियों के आगमन के समय भारत की स्थिति
भारत में पुर्तगालियों ने जिस समय आगमन किया, उसने पूर्वी व्यापार को हासिल करने में उनकी अत्यधिक मदद की, गुजरात के सिवाय। जहां शक्तिशाली महमूद बेगड़ा का शासक था, समस्त उत्तर भारत कई छोटी-छोटी शक्तियों के बीच विभाजित था । दक्कन में, बहमनी साम्राज्य छोटे-छोटे राज्यों में बिखर गया। कोई भी शक्ति ऐसी नहीं थी जिसके पास नौसैनिक शक्ति हो, और ना ही उन्होंने अपनी नौसैनिक शक्ति को विकसित करने के बारे में सोचा। सुदूर पूर्व में चीनी शासन की शासकीय डिग्री मात्रा चीनी जहाजों की नोवहानये पहुंच तक सीमित थी। जहां तक अरब व्यापारियों और जहाजों के मालिक को का संबंध है।
जिन्होंने पुर्तगालियो के आने से पूर्व तक हिंद महासागर व्यापार पर वर्चस्व कायम किया हुआ था, वे पुर्तगाली संगठन एवं एकता से बराबरी नहीं सके।
🇵🇹 भारत आगमन के अभिप्रेरण:
वास्तव में 15वीं शताब्दी में पुर्तगाली वेनिस ( इटली का एक राज्य ) की समृद्धि से ईर्ष्या करने लगे और उनके लाभदाई व्यापार में हिस्सा प्राप्त करने के हर संभव प्रयास करने लगे, जैसा कि अब ने मिश्र एवं परसिया पर सातवीं शताब्दी में विजय प्राप्त कर ली, तो यूरोप एवं भारत के मध्य सीधे संचार या संपर्क के मार्ग बंद कर दिए गए। पूर्व से वस्तुएं यूरोपीय बाजारों में मुस्लिम मध्यवर्तियों के माध्यम से पहुंचने लगी। वेनिस ने प्राचीन समय से इस व्यापार पर एकाधिकार बनाए रखा और परिणाम स्वरुप है बेपनाह धन संपदा एवं प्रभाव अर्जित किया । राजकुमार हेनरी, पुर्तगाल का नाविक, ने अपना पूरा जीवन भारत को जाने वाले समुद्री मार्ग की खोज में समर्पित कर दिया । 1487 ईस्वी में बरथोलोमयो दियाज नामक एक पुर्तगाली अफ्रीका के दक्षिणी सिरे तक पहुंच गया और इस जगह को केप ऑफ गुड होप कहां गया 1288 में लिस्बन लौट आया और इसके लगभग 10 वर्ष के अंतराल पर 1498 में वास्को डा गामा भारत पहुंचा।वास्को डा गामा की लिस्बन में विजई वापसी पर, पुर्तगाल के सम्राट ने पेट्रो अल्वारेज केबरेल के नेतृत्व मे बरथोलोम्पो दियाज साथ 13 जहाज और 1200 लोगों का एक अधिक बड़ा बेड़ा भेजो। लेकिन केवल को कालीकट में जमोरिन को प्राप्त करने के लिए अर्बन से युद्ध लड़ना पड़ा केबरेल ने
कोचीन और किन्नौर में व्यापार सुरक्षित करने हेतु कालीकट छोड़ दिया । वह काफी बड़े मुनाफे के साथ लिस्बन लौट ।
🇵🇹 पुर्तगाली एवं जमोरिन
वास्को डी गामा अक्टूबर 1502 में कालीकट आया। व्यापार एवं विजय हेतु उसके नेतृत्व में एक बड़ा सुसज्जित बेड़ा भेजा गया। जमोरिन से उसके संबंध मित्रता पूर्ण नहीं थे। पूर्वी भाग समुद्र में विशिष्ट वाणिज्य प्रभुता हासिल करने की अपनी महत्वाकांक्षा के चलते, पुर्तगालियों ने अन्य देशों। विशेष रूप से अब व्यापारियों को व्यापार के लाभों से वंचित करना शुरू कर दिया और यहां तक कि उनका उत्पीड़न किया।
पुर्तगाली एशिया के महत्वपूर्ण व्यापारिक स्थलों या ऑडियो पर कब्जा स्थापित करके अपनी नौसेना की वर्चस्ता को कायम रखना चाहते थे और उसका विकास करने के लिए कटिबंध से, फिटोरिया ऐसे व्यापारिक स्थल या अड्डे होते थे, जहां से नौसेना के बेड़ों को सहायता प्रदान की जाती थी। पुर्तगालियों ने अपने पर समुद्रीय विस्तार के लिए। विशेष रूप से अफ्रीकी तट पर , इसी प्रकार के अड्डों का इस्तेमाल किया । कुछ ही दिनों में उन्हें आभास हुआ कि भारत में इन ऑटो पर कब्जा करना आसान नहीं होगा और इसके लिए उन्हें संघर्ष करना पड़ेगा। कालीकट का हिंदू शासक , जनवरी ने , हालांकि पुर्तगालियों की वर्षा से चिंतित नहीं था । जनवरी ने अपने बंदरगाह से मुसलमान व्यापारियों को हटाने से मना कर दिया । पुर्तगालियों ने वहां गोलीबारी की । तक पश्चात पुर्तगालियों ने बेहद चतुराई पूर्वक कोचिंग और कालीकट की शत्रुता का लाभ उठाया एवं कोचिंग के राजा के मालाबार क्षेत्र में पहला किला बनाया 1209 ईस्वी में पुर्तगालियों ने मिस्र के शासक ममलुक द्वारा भेजे गए जहाजी पेड़ों को पराजित कर दी ऊपर अधिकार जमा लिया उन्होंने 1510 में गोवा पर अधिकार किया और उसे अपना प्रशासनिक केंद्र बनाया स्पेनिश सम्राट चार्ल्स पंचम द्वारा हिंद महासागर में अपने हितों को छोड़ने और सुदूर पूर्व में फिलिपींस तक अपने को सीमित रखने की घोषणा के पश्चात पुर्तगाली पूर्वी समुद्री क्षेत्र के एक छात्र बादशाह हो गए और जिसे एस्तादो द इंडिया के नाम से जाना जाता गया।
Comments
Post a Comment